‘the goddess queen padmvati फिल्म’का ट्रेलर कहीं से भी राजपूती शान के खिलाफ नहीं है, तो क्या फिल्म का भी प्रामाणींक रुपांकन हुआ हे?
इस फिल्म के विरोध के बावजुद बोलिवुड या संजय भणसाली या उसकि निर्माण संस्था से,सेन्सर बोर्ड से या मिनिस्टरी से कोइ आश्वासन आज तक क्यु नहि मील रहा हे??, क्या विरोध होने देकर फिल्म कि पोप्युलारीटी के लिये मार्केटींग बढने दि जा रहि हे?
क्या हिन्दु सामाजीक संगठन और हिंदुत्व कि बाते करने वाले स्वयम्भु प्रखर राष्ट्रवादि लोग इस बर्बर लुटेरे पर आ रहि फिल्म के बारे मे अभी तक अनभीज्ञ हे?
क्या सुप्रीमकोर्ट को इतिहास मे हो रहा मीलावटी प्रदुषण नहि दिख रहा?
क्या क्षत्रियो से हरबार कि तरह इसबार भी धोखा होगा?
क्षत्रियो को आश्वत कर फिल्म दिखाकर रीलीज कर करने कि शर्त का जीक्र क्यो नहि उठ रहा, यदि बिना बिवाद का फिल्मांकन हे तो इसका अवश्य स्वागत होगा।
राजस्थान के इतिहास मे अत्यंत गौरवपुर्ण पात्र जिसे सुन क्षत्रिय स्वाभीमान सिहर उठे ।
इन पर मनघडत चित्रण कि चेष्टा से फिल्म निर्माण कर रहे संजय लीला भणशाली से शुंटींग मे दंगल के बाद और आगे विपेक्षीत इतिहास पेश करने के काले मनसुबे को हरगीज साकार करने दिया नहि जा सकता इसलीये इस पर व्यापक तोर पर क्षत्रिय संगठनो,साधु-संतसमाज, क्षत्रिय हित चिंतक और इतिहासप्रेमी सभी वर्ग,जाती, समुदायो को इस विषय पर गंभीर हो उठे और सभी एक साथ जुट जाए एसा हम आहावान करते हे ।
अल्लाउदिन खिलजी
अल्लाउदिन खिलजी जो इस फिल्म और वार्ता का अहम किरदार हे,जिसे रणविरसिंह नामका एक्टर रोल प्ले कर रहा हे, अल्लाउदिन खिलजी का मुल नाम अली गुर्शप था, जिसने १२९६ मे अपने ससुर और जिसका वो भतीजा भी था उस जलाल-उद-दिन-फिरोज खीलजी का कत्ल कर दिया,
उसने जलालुद्दीन के दोनों बेटों अर्कली खान और रुकुनुद्दीन को अँधा कर देने के हुक्म के साथ साथ उसकी विधवा मलिका जहां को कैद कर लिया और बलपूर्वक अमीरों का धन लूट लिया। यहां तक कि उसने ‘दूसरे सिकंदर’ के रूप में खुद की कल्पना कर ली और दुनिया भर में एक व्यापक साम्राज्य के संस्थापक का सपना देखने लगा ।
उसके सेनापतियों नुसरत खान और उलूग खान द्वारा 1297 ईस्वी में गुजरात की लूट कि जिसमे उन्होंने न सिर्फ सोमनाथ मंदिर लूटा बल्कि पवित्र शिवलिंग भी खंडित कर दिया था।
१३०५ खिलजी ने जालोर मे आक्रमण किया जिसमे कन्हाडे विरगती को प्राप्त हुए,और विरमदेव चौहाण ने अतःतक प्रतिरोध किया परंतु मुठ्ठी भर राजपूत रसद की कमी हो जाने के कारण शत्रुओं को ज्यादा देर तक रोक नही सके। वीरमदेव ने पेट में कटार भोंककर मृत्यु का वरण किया।
अपने चितोड आक्रमण के बाद दुर्ग मे प्रवेश को असफल खिलजी ने संधी प्रस्ताव भेजकर रतनसिंह को पडाव मे बुलाया और बंदि बना लिया,जिनको मुक्त करने के लिये उस वहशी दरींदे ने सती रानी पद्मावती को पडाव मे बुलाने का फरमान किया,अब चितोड ने भी चाल चली और रानी कि पालखी मे काका गोरा और दासीओ की जगह मे पालखी मे राजपुत योध्धाओ तथा पालखी उठाने वाले कहारो की जगह योध्धाओ ने ली और प्रथम रतनसिंह को मीलने उनके तंबु मे जाने का जांसा देकर रतनसिंह को अश्वारुढ कर किल्ले कि और रवाना कर दिया, और कहार के वेषधारी और पालखी मे छुपे योध्धाओ ने हल्ला कर दिया बाद मे काका गोरा उनके चुंनिदा सिपाहिओ के साथ वापीस किल्ले मे पहुचने मे सफल हुआ.
लेकिन छह माह तक लगातार घेरे के चलते खाद्यान सामाग्री की कमी के चलते परिस्थीतीया विकट बन रहि थी इसलीये आखीरकार जौहर का फेसला हुआ गौमुख के उत्तरवाले मेदान पर १६००० सन्नारीओ के साथ सती पद्मावती ने चिता मे प्रवेश किया। इस तरह वह असहिष्णु ,प्रंपंची और निर्मम शासक था। जिसने कपट और बर्बर्ता से राजस्थान,उ.भारत,बंगाल,गुजरात,डक्कन के क्षेत्रो को लुंटा और डरा धमकाकर लोगो का धर्मपरिवर्तन कराया
क्या एसे बर्बर और घातकि खीलजी का सहि चित्रण होगा? क्या सती पद्मावती की आभा, क्षत्रिय परंपरा की शान के हक मे चित्रण होगा?
विवादि व्यकित्व संजय भणशाली
संजय लीला को बोलिवुड का बहेतरीन निर्माता क्यु कहे?
जबकि उसकि प्रसिध्ध फिल्मो मे black(2005) होलीवुड की Miracle Worker(1962) कि कोपी हे..
Khamoshi (1996) Beyond Silence(1960)कि कोपी हे,
Saawariya(2007) Italina मुवि Le Notti Bianche[white nights] (1957) कि कोपी हे
संजय कि रामलीला मुवि मे गुजरात कि संस्क्रुति कि धज्जीया उडाइ, बाजीराव मस्तानी मे मराठा के गौरव इतिहास को गायब कर मात्र महफिले सजा दि गइ..
अब यह राजस्थान के शिरमोड,अणनमी सिसोदिया कुल कि सती पद्मावती के इतिहास को आहत कर अपनि स्वछंदता का प्रदर्शन कर सकता हे, जो क्षत्रियता के गौरव का अपमान हि पेश करेगा ।
बोलिवुड हे क्या?
सिनेमा को समाज का आइना कहते हे लेकिन बोलिवुड वह दर्पण हे जो *डबल स्टाडर्ड* के साथ चलता हे, यहा पर कभी बर्बर हमलावरो का सहि चित्रण नहि मिलता क्यो की वे भले विदेशी थे या गलत थे लेकिन कुछ समुदाय से ताल्लुकात रखते थे, परंतु यह जरुर हे कि यहा हिन्दु और विशेष मे क्षत्रिय जननायक को का चित्रण गलत तरीके से और तोडमरोड के साथ हो रहा होता हे।
अभीव्यक्ति की आजादि के नाम पर, पथ्थर की लकिर पर तराशे इतिहास को यदि बोलीवुड के कुछ दोगले निर्माता,निर्देशक,कलाकारो की मंडली मसाला एडीट कर कुछ भी मनचाहे तरीके से पेश करती रह जायेगी तो यह असह्य होगा…..
आखीर बोलीविड ने राष्ट्र को दिया क्या हे ?
कुछ गीनेचुने अपवादरुप निर्माण को छोड बोलीवुड मात्र नग्नता, विदेशी धुन,कथा,गीत ,पोस्टर द्रश्य,श्राव्य,स्टोरी का लगभग हर फिल्म मे चोरी कर उपयोग करना, मात्र धन कमाना हि मकसद हे, किसी मुद्दे के साथ छेडछाड कर जानबुज कर विवाद हो एसा सुनियोजीत प्लान के तहत फिल्म रिलीज से पहले हि छाइ रहती हे और लोगो का इस गलत तरीके से ध्यान आकर्षण करने मे सफल हो जाती हे
बदचलन नाचगान ,शराब शबाब कि यह विक्रुत मानसीकता लोगो मे भर दि आज गरबा,गणेश उत्सव जेसे कइ त्योहार, सगाइ-शादि जेसी रसम सभी मे फिल्मी देखादेखी के बाद छिछोरापन आ गया हे
यह भारत राष्ट्र जर्जर और जख्मी बन चुका हे और बोलीवुड मात्र रोमानीयत और वासना का अफिम चटा रहा हे,बोलीवुड कभी देशप्रेम का प्रतिक नहि रहा अंडरवल्ड के पैसो का इस्तमाल कर देश के दुश्मनो को मालामाल किया किसने? मनोरंजन नहि मनोविक्रुती परोसने का पेशा बन चुका बोलीवुड हमारे सबसे बडे युवा देश के युवाओ को कोइ राह ना देकर उनके अपराधीकरण कि युनिवर्सीटी बन बेठा हे..
इस कारण हमे समग्र भारत के क्षत्रियो कि शान और हिंदुत्व कि रक्षा करने के लिये उचीत कदम अवश्य उठाने होगे,अभीव्यक्ति कि परिभाषा किसी सन्मानीत और श्राधेय आत्मा और राष्ट्रवादि क्षत्रिय समुदाय और हिन्दु विचारधारा को ठेस पहुचाना नहि हो सकती ।
विरोध के और कारगर कदम उठाकर एकता से हक लि लडाइ चालु रखो,पवित्र जोहर कि चिता कि और कोइ आक्रांता नहि पहोच सका और किसी भांड को भी नहि पहोचने दे सकते।
काठी संस्कृतिदीप संस्थान☀
जय काठीयावाड
जय राजपुताना
क्षात्रतेज अमर रहे.